तापी_नदी/ ताप्ती_नदी
गोंडी आदिवासी पौराणिक गाथा , मान्यता के अनुसार मुलातापी, मुलतापी याने वर्तमान मुलताई में स्थित जलकुंड तापी नदी /ताप्ती नदी का उद्गम स्थल हैं।
गोंडी गाथा अनुसार तापी नदी ( गोंडी भाषा मे ढ़ोडा याने नदी ) यह शम्भू मादाव की प्रथम अर्धांगनी मुलादाई की तप साधना से प्रादुर्भावित जलकुंड मुलातापी से प्रवाहित हुई हैं। प्राचीन काल में पृथ्वी का दक्षिण गोलार्ध गोंडवाना खण्ड , जो पंचखण्ड द्वीप (सयुंगगार दीप) समूह से युक्त था । प्रथम शम्भू मादाव की अर्धांगनी मुलादाई थी। मुलादाई की तप साधना (तंदरी जोग) से नागुनाल की मदद से जो जलधारा धरातल पर प्रकट हुई , वह निरंतर रूप से प्रवाहित होते रही और आगे चलकर एक नदी (ढ़ोडा) का रूप धारण कर गई । आदिवासी समुदाय के लोग उस नदी को "नागुना तापी ढ़ोडा" कहते हैं कालांतर में नागुना तापी ढ़ोडा , तापी नदी/ताप्ती नदी के नाम से और मुलातापी, मुलाताई , मुलताई के नाम से प्रख्यात हुई।