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असली ख़ुशी, असली सुख या शान कहना चाहिए,

असली ख़ुशी, असली सुख या शान कहना चाहिए, किन वस्तुओं या सुविधाओं से झलकती है? शानदार कार, अट्टालिकानुमा घर या एक ईर्ष्या से भर दे, ऐसी जीवनशैली? इस सूची में नए-नए नाम और जोड़े जा सकते हैं- लेकिन क्या सचमुच इन सुविधाओं में वो सुख समाया है, जिसे शान समझा जाए?

असली शानदार जिंदगी के भी चेहरे कई हो सकते हैं, इनकी सूची में भी हर व्यक्ति एक नया सुख या वस्तु जोड़ सकता है लेकिन चार-पांच सुख ऐसे हैं जो नसीब हों, तो शान समझे जा सकते हैं।

पहला है- धीमे-धीमे जी सकने वाली सुबह। यानी बिना हड़बड़ी के सुबह के हर लम्हे का आनंद ले पाने वाली जिंदगी। इसमें कोई हड़बड़ी नहीं, कहीं भागने की जल्दी नहीं। सुकून, सूर्य और पंछियों के कलरख के बीच अख़बार व चाय के संग धीरे-धीरे बयार-सी बहती सुबह जिसके पास है वह अ‌द्भुत सुविधा से सम्पन्न है।

दूसरी शान है- चुनने की आज़ादी। यह हर मामले, जीवन के हर पक्ष पर लागू होती है। जिसे यह सुविधा हासिल है- उसकी शान के क्या कहने।

तीसरा सुख है- रात की गहरी नींद। आजकल इसे एक बड़ी नेमत की तरह देखा जाता है। सबके हिस्से में भी इसका सुख नहीं है। जिसके पास है, वो है सम्पन्न।

चौथी शान है- मन का सुकून। इसे तो वास्तव में एक बहुत बड़ा सुख मानना चाहिए। 'मन का सुकून' कहने को तीन शब्द हैं लेकिन इनका विस्तार, इनकी पैठ, इनकी छाया जीवन की हर कड़ी तपिश से सुरक्षा देती है। जिनके पास शांत मन है, वे हर दुविधा, हर उलझन को साफ़-सुथरी निगाह से देख पाते हैं। उनके लिए कोई अड़चन राह की बाधा बन नहीं सकती।

पांचवां सुख है- शांत, ऊब भरे दिन। जी हां, ऊब भरे। इनका होना एक तरह का इत्मीनान दर्शाता है। आप ऊब सकते हैं क्योंकि आपको अतिव्यस्त रहकर, किसी दौड़ में शामिल होकर कोई चाहत रखने की ज़रूरत नहीं है। एक शान है ऊब पाना। इसी सूची में है- स्नेहमयी परिवार, भरोसेमंद दोस्तों का समूह और विश्वास से भरा जीवनसाथी। आप सूची बढ़ा सकते हैं।
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