क्या आप जानते हैं कि आप अपने ऊपर हुए किसी भी प्रकार के पुलिस क्रूरता या किसी अन्य प्रकार के पुलिस अत्याचार की शिकायत कर सकते हैं? जी हां! इस देश के चंद लोग ही जानते हैं कि पुलिस अत्याचार की शिकायत कैसे और कहां की जाती है।
वैसे तो पुलिस आपकी, आपके साथ, सदैव और जनता की हिफाजत का दावा करते नहीं थकती, लेकिन धरातल पर अगर देखा जाए तो पुलिस की वास्तविक भूमिका सरकार व नेताओं की रखैल बनकर उनके दमनकारी आदेशों का पालन करना और अपना गुस्सा एक आम नागरिकu पर उतारकर प्रताडि़त करना मात्र रह गया है। वर्तमान हालातों में अक्सर देखा गया है कि पुलिस, नेता व अपराधियों की सांठगांठ के चलते पुलिस नेता और मंत्रियों के इशारों पर काम करती है। पुलिस जब चाहे, जिसे चाहे (जिसके पास राजनीतिक पकड़ या पैसा न हो) उसे जेल में डाल दे, झूठे केस दर्ज कर दे। पुलिस एवं व्यवस्था की इस दरिंदगी के कारण करोड़ों झूठे मुकद्दमें देश की विभिन्न अदालतों में लंबित चल रहे हैं। न्यायपालिका में इन झूठे केसों के कारण अदालतों की ऊर्जा व कीमती वक्त बर्बाद हो रहा है। सही समय पर दोषियों को सजा व निर्दोषों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार देश की विभिन्न अदालतों में करीब चार करोड़ मुकद्दमें लंबित हैं, जिनका निपटारा करने में लगभग 500 वर्षों का वक्त बीत जाएगा, लेकिन पुलिस इस बात का जमकर फायदा उठा रही है और निर्दोष लोगों के न केवल अधिकारों का हनन बल्कि उनका जमकर सामाजिक, मानसिक व आर्थिक शोषण कर रही है।
पुलिस की क्रूरता, अत्याचार कानून व शक्तियों का दुरूपयोग करने तथा एक आम नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार (22 सितम्बर 2006 जनहित याचिका क्रमांक 310/1996) पूरे देश के हर राज्य, सभी केंद्र शासित प्रदेश व जिला स्तर पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण बनाए जाने थे।
इसके अंतर्गत एक आम नागरिक पुलिस क्रूरता, अत्याचार जैसे…
• अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखना।
• पुलिस हिरासत में गंभीर चोट पहुंचाना या मृत्यु।
पुलिस हिरासत में बलात्कार की कोशिश या बलात्कार करना।
• कोई अपराध जिसमें अवैध शोषण, घर अथवा जमीन हड़पना।
• कोई घटना, जिसमें पद अथवा शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो आदि।
अगर इस तरह की किसी भी प्रकार का कोई भी अत्याचार या क्रूरता आपके साथ पुलिस के साथ की गई हो तो आप इसकी शिकायत अपने राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकते हैं। अगर वहां भी उसका समाधान न हो तो अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं, ताकि दोषी को सजा दिलवाई जा सके।
देश के आम नागरिकों के हितों की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय की यह एक बड़ी पहल है, जिसके लिए हमें जागरूक होकर आगे आना होगा, ताकि कानून व शक्तियों का दुरूपयोग करने वाले लोगों में भय व्याप्त हो और निर्दोष लोगों पर होने वाली प्रताडऩा पर लगाम लग सके।
शिकायत कैसे करें?
एक सादे कागज पर लिखा या टाईप किया हुआ पत्र केस अथवा घटना से संबंधित सभी सबूतों के साथ एक हल्फलामा लगाकर अपने नाम से अपने राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस शिकायत प्राधिकरण को भेज सकते हैं। गुमनाम या किसी अन्य नाम से न भेजें। ऐसा करने से डरें नहीं। ईमानदारी से अपने साथ घटित घटना का पूरा विवरण नाम,पता व फोन नंबर सहित दें।
जब तक आप शिकायत के लिए आगे नहीं आएंगे, सच के लिए आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसे ही प्रताडि़त होते रहेंगे।
शिकायत कहां करें?
आप अपनी शिकायत हर राज्य में स्थित पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकते है। पुलिस शिकायत प्राधिकरण का पता, फोन नंबर आदि गूगल से प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी किसी प्रकार की मदद अथवा मार्गदर्शन के लिए हमारे अधिकारिक ईमेल help@ncib.in पर भी संपर्क कर सकते हैं।