बैतूल जिले की आदिवासी समाज की बेटियों ने सम्पूर्ण देश में बढ़ाया बैतूल एवँ मध्यप्रदेश का नाम!!
हजारों हजार सैल्यूट बैतूल की बेटियों, यूँ ही आगे बढते रहो और बैतूल, मध्यप्रदेश और देश का नाम रोशन करते
रहो!!
रांची (झारखंड) में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 17 जनवरी से 21 जनवरी तक खेलेंगे एवँ मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे!
बैतूल जिले के आदिवासी फुटबॉल क्लब टेमनी के 3 खिलाड़ियों का राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए चयन
देश का भविष्य हो आप, सारे देश की निगाहें है,आप पर
प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होती है,विषम परिस्थितियों और आभावो में ही प्रतिभाशाली बच्चे निखर कर सामने आते हैं,ऐसा ही कुछ करके दिखाया है मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम टेमनी के आदिवासी समाज के बच्चों ने जिनका हाल ही 3 खिलाड़ियों का राष्ट्रीय स्तर में चयन हुआ हैं,जो अंडर-14 में रांची (झारखंड) में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 17 जनवरी से 21 जनवरी तक खेलेंगे एवँ मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे!
राष्ट्रीय स्तर टीम में चयनित होने वाले खिलाड़ियों में क्रमशःअक्षरा धुर्वे,सलोनी धुर्वे,आयुषी उइके और कोच के लिए चयनित निकिता उइके है!!
बैतूल जिले की इस टीम को इस ऊँचाई एवँ उपलब्धि तक पहुचाने में टेमनी फुटबॉल टीम के कोच कृष्णा उइके जी एवं मेडिटेक कैरियर इंस्टिट्यूट का प्रमुख सहयोग रहा हैं, जो लगातार ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को खेल के क्षेत्र में एवं शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य निर्माण हेतू मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं, श्री कृष्णा उइके जी ने बताया कि इससे पहले भी बैतूल जिले के ग्राम टेमनी की फुटबॉल टीम विगत वर्ष राज्य स्तर की उपविजेता टीम थी!!
बैतूल जिले की अग्रणी शिक्षण संस्थान मेडिटेक कैरियर इंस्टिट्यूट बैतूल के फाउंडर एन्ड डायरेक्टर डॉ.राजा धुर्वे(एमबीबीएस) एवं अकादमिक डायरेक्टर ईश्वर धुर्वे जी ने राष्ट्रीय स्तर में चयनित होने वाली खिलाड़ियों को एवं उनके कोच श्री कृष्णा उइके जी को बधाई एवँ शुभकामनाएं प्रेषित किया
हैं! एवँ बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि लक्ष्य तो सभी निर्धारित करते हैं लेकिन उस मुकाम तक बहुत कम ही लोग पहुंच पाते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण धैर्य खो देना माना जाता है। कई बार देखा जाता है कि जब कुछ असफलता हाथ लगती है तो लोग विचलित हो जाते हैं और अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। जब तक आपलोग धैर्यवान नहीं रहेंगे लक्ष्य की ओर मजबूती के साथ नहीं पहुंच पाएंगे। कई ऐसे उदाहरण हैं कि जिनके जीवन में हमेशा कठिनाईयां आती रहती है। इसके बावजूद भी वे लक्ष्य निर्धारित किए और मुकाम को हासिल किए। हमलोगों को समझना होगा कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए मंजिल की ओर चलना भी होता है और जब आप चलेंगे तो रास्ते में बाधाएं आएंगी ही। उन बाधाओं से बिना विचलित हुए अर्जुन की तरह सिर्फ मछली की आंख की ओर ही ध्यान केंद्रित रखें। असफलता का एक बड़ा कारण अभिरुची से अलग हटकर विषय वस्तु का चयन भी होता है। कई बच्चे अपने माता-पिता के आदेश के तहत लक्ष्य निर्धारित करते हैं हालांकि उनकी अभिरुची दूसरी ओर रहती है। स्वभाविक है कि बना अभिरुची वाले क्षेत्र में आप आत्मविश्वास के साथ कार्य नहीं कर पाएंगे। इसलिए यह ध्यान रखें कि लक्ष्य निर्धारण के समय भली भांति अपनी अभिरुची का आकलन करें। जब सभी चीजें सुनियोजित तरीके से की जाएगी तो मुकाम कितना भी बड़ा क्यों न हो उसे सहजता पूर्वक प्राप्त कर लिया जाएगा।